भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान: कृषि और पर्यावरण के लिए प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित
भाकृअनुप-भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान, भोपाल ने ‘‘अन्नदाता देवो भवः‘‘ 75वाँ आजादी का अमृत महोत्सवः 24 अप्रैल 2022 को सतत कृषि और पर्यावरण के लिए प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय कार्यशाला में मनाया
भोपाल। भाकृअनुप- भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान भोपाल ने ‘‘अन्नदाता देवो भवः‘‘ के उपलक्ष्य में 24 अप्रैल 2022 को ‘‘स्थायी कृषि और पर्यावरण के लिए प्राकृतिक खेती‘‘ नामक एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में ‘‘आजादी का अमृत महोत्सव‘‘ के एक हिस्से के रूप में इस कार्यक्रम को हाइब्रिड मोड में मनाया गया। उद्घाटन भाषण में मुख्य अतिथि श्री विष्णु खत्री, माननीय विधायक ने सतत कृषि के लिए प्राकृतिक खेती के महत्व पर जोर दिया। अपने स्वागत भाषण में, डॉ. आर. एलनचेलियन, प्रधान वैज्ञानिक और आयोजन सचिव ने कार्यशाला के बारे में संक्षिप्त परिचय दिया।
डॉ. अशोक के. पात्र, निदेशक, भाकृअनुप-आईआईएसएस ने गणमान्य व्यक्तियों, किसानों और ऑनलाइन उपस्थित लोगों को भविष्य के जलवायु परिवर्तन पर्यावरण के तहत मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार के लिए प्राकृतिक खेती के महत्व पर संबोधित किया। उन्होंने आगे जोर दिया कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए फसल उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्राकृतिक खेती प्रमुख घटक है।
प्रातः तकनीकी सत्र की अध्यक्षता डॉ. एस.के. शर्मा, निदेशक (अनुसंधान), आरवीएसकेवीवी, ग्वालियर और सह-अध्यक्षता डॉ. एस.आर. मोहंती ने की। सत्र की शुरूआत में डॉ एन रविशंकर ने ‘‘भारत में प्राकृतिक खेतीः एक अवलोकन‘‘ पर व्यख्यान दिया। डॉ. बलजीत सिंह सहारन, एचएयू हिसार ने ‘‘प्राकृतिक खेती में माइक्रोबियल गतिविधियों‘‘ पर मुख्य भाषण दिया। डॉ. अशोक के. पात्रा, निदेशक, भाकृअनुप-आईआईएसएस ने ‘‘मृदा स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक खेतीः संभावनाएं और बाधाएं‘‘ पर एक मुख्य भाषण दिया।
दोपहर में, एक पैनल चर्चा आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता डॉ. पी.पी. शास्त्री, पूर्व-डीन, कृषि माहाविद्यालय, आरवीएसकेवीवी, खंडवा, और सह-अध्यक्ष डॉ. प्रदीप डे, ने की। पैनल चर्चा में प्रख्यात वक्ता शामिल थे। डॉ. एस भास्कर, एडीजी (एएएफसीसी), आईसीएआर नई दिल्ली, डॉ. एस.आर. मोहंती, श्री राजेश चतुर्वेदी, डीडीए कृषि, मप्र, डॉ एबी सिंह, श्री पदम सिंह ठाकुर, आईएमसी सदस्य, श्री कृष्णपाल लोधी, प्रगतिशील किसान, नरसिंहपुर और श्री मनोहर पटीदार प्रगतिशील किसान भोपाल ने अपने विचार प्रस्तुत किए। प्रतिभागियों के बीच प्राकृतिक खेती की संभावनाओं और सतत कृषि के लिए आगे बढ़ने पर चर्चा हुई।
अंत में डॉ. एके विश्वकर्मा, प्रधान वैज्ञानिक एवं सह-संगठन सचिव ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा। कार्यक्रम में संस्थान के छात्रों/आरए/एसआरएफ सहित सभी वैज्ञानिकों, कर्मचारियों एवं प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में वैज्ञानिक, शोध छात्र, किसान, जन प्रतिनिधियों समेत लगभग 250 प्रतिभागियों (150 ऑफलाइन और 100 ऑनलाइन) ने हिस्सा लिया।
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