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    सोयाबीन में इल्लियों का प्रकोप और अपर्याप्त वर्षा से किसानों में चिंता



    रामहेत पवार, एमके न्यूज़

    देवास। खातेगांव। इस वर्ष सोयाबीन खरीफ की फसलों में आंतरिक प्रभावी कीटों के साथ-साथ इल्लियों का भी प्रकोप बहुत अधिक है। इसी परिदृश्य के चलते किसानों के माथे पर चिंता की लकीर दिख रही है। विगत वर्ष 2020 में सोयाबीन  की फसलें पूरे मध्यप्रदेश में नष्ट हो चुकी थी। जिसका मुआवजा एवं फसल बीमा अभी तक किसानों को नहीं मिला। जहां एक और मध्य प्रदेश गवर्नमेंट अपना खजाना खाली बता रही है एवं फसलों में कीटों का प्रभाव एवं फसल की स्थिति बनी हुई है तब स्वाभाविक है कर्ज के नीचे दबे हुए किसान चिंता तो करेंगे ही क्योंकि उन्हें अपना परिवार भी चलाना पड़ता है।और वे कर्ज में डूबे जा रहे हैं।


    प्रशासनिक व्यवस्था सिर्फ नाम की

    प्रशासनिक व्यवस्था के नाम पर किसानों के लिए कोई सुविधा नहीं मिल रही हैं। प्रशासन चाहे हर वर्ष बजट में लाखों करोड़ों का आवंटन किसानों के लिए किया जाता हो परंतु यदि आज जमीनी स्तर पर देखा जाए तो किसानों को कृषि विभाग द्वारा इसका पूर्ण पूर्ण लाभ बिल्कुल भी नहीं मिल पा रहा है ।  

      इस वर्ष 2020-21 में किसानों को सोयाबीन के बीच में बहुत अधिक परेशानियां देखने को मिली है। इस वर्ष सोयाबीन का बीज किसानों ने 10,000 रुपए प्रति कुंतल क्रेय कर अपने खेतों में फसलें लगाई है। मगर देश और प्रदेश की सरकार किसानों की इनकम दुगनी करने वाली सरकार ने किसानों को बीज में सब्सिडी के नाम पर ₹1 नहीं दिया। मुआवजे की राशि भी चिल्लर करके किसानों के खातों में डाली गई। इन्हीं कारणों के चलते आज प्रदेश में किसानों की हालत दयनीय बनी हुई है। किसान कर्ज में डूबे हुए हैं। हर बार सरकारों ने किसानों के ऋण माफ करने के नाम पर उन्हें धोखा दिया। उनके खाते अति दे करवा दिए आज किसान अपने खातों का केसीसी  रोटेशन रेगुलर ना करते हुए अति देय,ओवरड्यू करके परेशानी के सन्मुख बैठे हैं।इन्हीं कारणों के चलते आज प्रदेश में किसानों की हालत बहुत दयनीय हैं ।

    फ़सल एवं अंतर प्रभावी कीटों को लेकर भी किसानों ने कृषि विभाग को अवगत कराया पर परिणाम आज तक किसी कृषि वैज्ञानिक या किसी भी कृषि विशेषज्ञ ने आकर खेतों का निरीक्षण नहीं किया और नहीं यह जान पाए यह बीमारी फसलों में किस कारण से और क्यों लग रही है। जब कृषि  विशेषज्ञ कृषि विभाग इन बीमारियों के बारे में नहीं जान पाते तो किसान एक अलग बात है।


    औसत वर्षा  इस वर्ष

     अगस्त तक हर वर्ष की अपेक्षा बारिश आधी भी नहीं हुई। देवास जिले में खेतों के कुएं में अभी तक पानी का लेवल एक 2 फीट तक ही बड़ा है । बारिश आगे नहीं होने की दशा में किसानों की चिंता और बढ़ेगी। रवि की फसलों में पर्याप्त पानी मिलने की आशंका बनी हुई है। इस वर्ष देवास जिले में औसत वर्षा हुई है।

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