पंजाब की कंपनियां मप्र के किसानों को लगा रही चूना
👉 घटिया किस्म के मिनी कंबाइन हार्वेस्टर टिपा रही किसानों को
👉 किसानों ने खरीदे लेकिन एक खेत की फसल तक नहीं काट पाई मशीने
👉 भारत सरकार कृषि विभाग की टेस्टिंग सूची कृषि उपकरणों की सूची में भी नहीं है नाम
👉 भारत सरकार और राज्यों की कृषि यांत्रिकीय विभाग की सब्सिडी में भी शामिल नहीं हैं ये मशीने
डॉ. अनवर खान, एमके न्यूज
भोपाल। इन दिनों पंजाब की कृषि यंत्र कंपनियां मध्यप्रदेश के किसानोें को लपक चूना लगा रही है। ये कंपनियां किसानों को घटिया किस्म की मिनी कंबाइन हार्वेस्टर मशीने बेच रही हैं, जो कृषि अभियांत्रिकीय मापदंडों में फिट नहीं होने के कारण फसल नहीं काट पा रही है। जिस दिन से किसानों ने मिनी हार्वेस्टर को खरीदा है उसी दिन से जस की तस उनके घरों में खड़ी हुई है। लाभ कमाना तो दूर की बात उल्टे प्रत्येक पीड़ित किसान 15-16 लाख रूपए के बैंकों के कर्जदार हो गए हैं। इस कंपनी के चक्कर में प्रदेश के कई किसानों के खेत और वाहन तक बैंकों ने नीलाम कर दिए हैं। पीड़ित किसानों ने इसकी शिकायत संबंधित अधिकारियों एवं कंपनियों के जिम्मेदारों से दर्जनों बार कर चुके है मगर इनकी सुनवाई अभी तक कई नहीं हो पाई है। बल्कि कंपनी के जिम्मेदारों द्वारा किसानों को शिकायत ना करने के लिए धमकियां दी जा रही है। सीहोर के पीड़ित किसान नितिन जायसवाल ने बताया कि प्रदेश के पीड़ित हम 40 किसानों ने मिलकर पंजाब की कंपनियों के खिलाफ शिकायत की है मगर मप्र में 250 से अधिक शिकायत इसकी ठगी के शिकार हैं। धीरे-धीर सब एक साथ जुड़ रहे हैं। हम कंपनी की शिकायत दिल्ली तक करेंगे ताकि प्रदेश और देश के अन्य राज्यों के किसान इनके चंगुल में ना आए।
यहां-यहां की है किसानों ने शिकायत
पीड़ित किसानों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, कृषि मंत्री कमल पटेल, कृषि अभियांत्रिकीय विभाग मप्र, जिला कलेक्टरों, पुलिस और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार सहित संबंधित अधिकारियों एवं कंपनियों के जिम्मेदारों से शिकायत की है मगर कोई भी उनकी इस समस्या का निदान नहीं कर पा रहे हैं। इसके कारण पीड़ित किसान आए दिन यहां-वहां न्याय के लिए चक्कर काट रहे हैं।
5.6 लाख की मशीन बेची है कंपनी ने
पानसेर एग्रोटेक (टीएमसी-800), सुपर स्टैडर्स (735-मेपल एसपोर्ट), विकास एग्रोटेक (विकास-325) और सतनाम (सतनाम मिनी कंबाइन हार्वेस्टर) ये चारों कंपनियां पंजाब है। जिन्होंने अपने-अपने मॉडल मिनी कंबाइन हार्वेस्टर किसानों को बेची है। ये चारों कंपनियां आज दिनांक तक भारत सरकार द्वारा जारी सूची और संचालनालय की डीबीटी पोर्टल दोनों में शामिल नहीं है। इसके बावजूद कंपनी ने नियम विरूद्ध किसानों को पिछले कई समय से बेच रही है। किसी किसान से 5 लाख 60 हजार रूपए वसूल रही है तो किसी से 5 लाख 20 हजार। जबकि मशीन एक दिन भी चल पाई है। इतना हीं नहीं किसानों मशीन बेचने के बाद उन्हें 60 हाई पॉवर के ट्रैक्टर 8-10 लाख रूपए के खरीदवा दिए है। ताकि जिससे मिनी हार्वेस्टर चले सके मगर उससे भी नहीं चल पाई है। कभी खेत में अनाज नहीं काट पा रही तो कभी बड़े-बडे़ बोर्ड तोड़ रही है। जिससे किसानों को नुकसान पर नुकसान हो रहा है। ये हाल प्रत्येक किसानों के है। वर्तमान में भी किसानों को ठग रहीं है। सरकार की सूची में शामिल नहीं होने के बावजूद कंपनी किसानों के साथ-साथ सरकार को भी चूना लगाने का काम कर रही है।
ऑनलाइन बुकिंग एवं होम डिलेवरी
पंजाब की कंपनियांे की कोई भी फ्रेंचाई मप्र में नहीं है। ये कंपनियां अपनी गुणवत्ताहीन मिनी हार्वेस्टर सीधे ऑनलाइन बेचने का काम कर रहे हैं। बुक ऑनलाइन करते है और पैसे अपने खातों में डलवाने के बाद कंपनी किसानों के घरों तक मशीन भेजने का काम कर है। सैंपल के तौर पर किसानों ने खरीदने से पूर्व कोई मुआयना नहीं किया और नहीं कर रहे हैं। जिसका फायदा कंपनी जमकर उठा रही है।
जब मशीन को खरीदा गया था तब जो उसकी गुणवत्ता बताई गई थी वह अपनी एक भी बात पर खरी नहीं उतर पाई जिसके कारण मैं छोटा किसान 560000 की मशीन को लेकर कार्यालयों की ठोकर पे ठोकर खा रहा हूं और किसानों से ₹560000 लिए जबकि बेल 520000 के दिए हैं और कहीं किसान को अलग अलग तरीके से लूटा गया
यह मशीन भारत सरकार के रिकॉर्ड में भी नहीं है और पूरे भारत में कहीं पर भी इस मशीन की टेस्टिंग भी नहीं हुई हे यह हमें कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय भोपाल द्वारा पता चला के लिखित में आदेश देने के बावजूद भी किसानों की एफ आई आर दर्ज
नहीं की गई. सहायक कृषि अभियांत्रिकी सीहोर से भी लिखित में एफ आई आर दर्ज के लिए कहा गया परंतु एफ आई आर दर्ज नहीं की गई
इनमें से कुछ की प्रतियां संलग्न की गई है.
धोखे से एक फार्म पर भी हस्ताक्षर
वह किसानों से धोखे से एक फार्म पर भी हस्ताक्षर लिए गए हैं यह हमें जब ज्ञात हुआ जब कंपनी के ऑफिस हमने फोन किया बाद में और कहा कि आपकी मशीन गलत है जिस उद्देश्य के लिए हमने इसे लिया वह पूरा नहीं कर पा रही है आप इसे वापस कीजिए नहीं तो हम शिकायत करेंगे तो
कंपनी वाले कहते हैं चाहे जो करो पुलिस प्रशासन सब हमारी जेब में है पुलिस प्रशासन के खिलाफ भी उसने टिप्पणी की जो कि गलत है शासन प्रशासन की घोर निंदनीय बात है उस व्यक्ति के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए जो कि पुलिस प्रशासन को जेब में रखने की बात करता है
नितिन जायसवाल ने भी इस विषय में शिकायत की थी मगर अभी तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.
किसानों को कई प्रकार से इस मशीन की वजह से नुकसान हुआ है सिविल खराब हुई है किसान अगर अपने किस पैरों पर खड़ा होने के लिए लोन लेना चाहे तो कोई भी बैंक से लोन नहीं देगी इसी प्रकार बहुत से नुकसान किसानों को हुए हैं हम सभी छोटे छोटे किसान जिन्होंने कहीं ना कहीं अपने जान पहचान वालों की मदद ली और भी कई जगह से कर्जा लिया जो कि हमारी दिन रात की नींद को उड़ा कर रखा है उसे पटाने के लिए कई किसानों ने अपने घर की जमीन रकम भेज दी है फिर भी कर्ज पूरा नहीं हो पा रहा है अब उस मशीन को कबाड़ के भाव बेचना है कहीं ऐसा ना हो कि ऋण के बोझ के नीचे आकर गरीब किसान अपनी जीवन लीला ही समाप्त ना कर दे
हम किसान अब लोगों की हंसी के पात्र बनने लगे हैं अपने आपको शर्मिंदगी महसूस करने लगे हैं अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं इसी वजह से दुर्गा प्रसाद जी पटेल को हाईटेक आ गया था और एक किसान ने जहर खाया वह एक ने फांसी लगाने की कोशिश की अतः श्रीमान जी से निवेदन है कि हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि इस मामले को जल्द से जल्द संज्ञान में लेकर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करें और किसानों को न्याय दिलाएं किसानों को उनकी मशीन का पैसा हर्जाना कंपनी से दिलाने की कृपा करें
क्या गरीब किसान को कहीं पर न्याय नहीं मिलेगा ठोकर पर ठोकर ही खानी पड़ेगी पैसों वालों की सुनवाई गरीब किसानों की सुनवाई नहीं होगी क्या गरीब पैसे वालों के नीचे रौंदा जाएगा निवेदन है सर जी जल्द से जल्द हमें न्याय दिलाएं हमें पता चला है कि आप हमें न्याय दिला सकते हैं।
इनका कहना है
हमने किसानों को कहा था कि एक्सपर्ट ड्राइवर रखकर मशीन चलाएं। ऐसा उन्होंने नहीं किया। 1 साल निकल चुके हैं फिर भी हम किसानों को अपनी तरफ से जो भी समस्या आ रही है उसका निराकरण कराएंगे। 560000 की मशीन थी। इसमें 40000 लोडिंग किराया शामिल है। मेरी कंपनी से 10-12 मशीनें मध्यप्रदेश में भेजी गई है।
परमजीत सिंह, मैनेजर, पनेसर एग्रोटेक
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