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    केन्द्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल मे अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन

     


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    आईसीएआर-केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, भोपाल दिनांक 01 से 30 जनवरी, 2025 तक की अवधि के दौरान रवांडा सरकार के अधिकारियों के लिए “आधुनिक जल नियंत्रण तकनीकों और प्रौद्योगिकियों के उपयोग” पर एक अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का व्यापक उद्देश्य प्रतिभागियों के क्षेत्र परिशुद्धता सिंचाई में कौशल विकास और संवेदनशीलता के लिए सीआईएई और अन्य संगठनों द्वारा विकसित बेहतर जल प्रबंधन प्रौद्योगिकियों को साझा करना है। प्रशिक्षण के व्यापक क्षेत्र में पारंपरिक सिंचाई, सूक्ष्म सिंचाई, डिजाइन और संचालन, स्वचालन, जल प्रबंधन में एआई और आईओटी का उपयोग आदि शामिल होंगे। प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मैनिट), भोपाल के निदेशक डॉ के के शुक्ला ने मुख्य अतिथि के रूप में 01 जनवरी, 2025 को डॉ केपी सिंह, सहायक महानिदेशक (एफई) आईसीएआर, नई दिल्ली की उपस्थिति में (ऑनलाइन) किया। रवांडा सरकार में विभिन्न नौकरी भूमिकाओं में काम करने वाले कुल 10 अधिकारी इस एक महीने की अवधि के प्रशिक्षण में भाग ले रहे हैं। 

    डॉ के पी सिंह, एडीजी (एफई) ने इस प्रशिक्षण के आयोजन के लाभों पर प्रकाश डाला और प्रतिभागियों से अपने ज्ञान के आधार को बढ़ाने के लिए अधिक चर्चा करने का अनुरोध किया, जिसे प्रशिक्षण के बाद लागू किया जा सकता है। उन्होंने सिंचाई इंजीनियरों के लिए इस तरह के क्षेत्र आधारित प्रशिक्षण के लिए रवांडा सरकार की पहल की भी सराहना की। डॉ केके शुक्ला, निदेशक एमएएनआईटी ने भगवद गीता के संदर्भ में पानी के महत्व पर जोर दिया। सिंचाई जल प्रबंधन पानी के उपयोग को अनुकूलित करने, फसल की पैदावार बढ़ाने और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। मिट्टी की नमी सेंसर, उपग्रह डेटा, आईओटी और ड्रोन आधारित इमेजिंग जैसी तकनीकों का उपयोग और अधिकतम उपज के लिए स्थानिक और अस्‍थायी सिंचाई प्रबंधन को संबोधित करने के लिए प्रभावी रूप से किया जा सकता है। 

    डॉ. सी. आर. मेहता, निदेशक आईसीएआर-सीआईएई ने संस्थान की विभिन्न गतिविधियों और अनुसंधान क्षेत्रों के बारे में जानकारी दी। डॉ. के.वी. रमन्‍ना  राव, प्रमुख आई.डी.ई.डी. तथा पाठ्यक्रम निदेशक ने प्रशिक्षण कार्यक्रम की उत्पत्ति के बारे में बताया तथा उद्योग, परीक्षण सुविधाओं तथा प्रगतिशील किसानों के खेतों में कई बार जाने के साथ-साथ अधिक व्यावहारिक उन्मुख तथा क्षेत्र आधारित प्रशिक्षण रूपरेखा का आश्वासन दिया। डॉ. वाई. ए. राजवाड़े, वैज्ञानिक तथा पाठ्यक्रम सह-निदेशक ने कार्यक्रम का संचालन किया तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।


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