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    कृषि विभाग की जिला स्तरीय टीम ने जिले के 3 विकासखंडों के 20 ग्रामों का भ्रमण कर किया फसल का अवलोकन

     


    छिन्दवाडा. उप संचालक कृषि जितेन्द्र कुमार सिंह द्वारा गत दिवस उद्यानिकी महाविद्यालय के डीन डॉ.विजय पराडकर और जिला स्तरीय टीम के कृषि अधिकारियों व वैज्ञानिकों के साथ जिले के विकासखंड मोहखेड़, बिछुआ और सौसर के 20 ग्रामों का भ्रमण कर फसल स्थिति का अवलोकन किया गया तथा किसानों से चर्चा कर समसामयिक सलाह दी गई। भ्रमण के दौरान सहायक संचालक कृषि श्रीमती सरिता सिंह, सर्वश्री धीरज ठाकुर, नीलकंठ पटवारी, दीपक चौरसिया व सचिन जैन, उप परियोजना संचालक आत्मा श्रीमती प्राची कौतू, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी मोहखेड, बिछुआ व सौंसर और आत्मा परियोजना के बीटीएम/एटीएम के साथ ही कृषि विभाग का मैदानी अमला और संबंधित ग्रामों के कृषक उपस्थित थे ।

          जिला स्तरीय टीम द्वारा विकासखंड बिछुआ के ग्राम गोनी, सामरबोह, जामुनटोला, तुमडागढी, खमारपानी, पलासपानी और देवरी में भ्रमण कर कृषक के खेतों में बोई गई फसल स्थिति का अवलोकन किया गया और किसानों से चर्चा कर समसामयिक सलाह दी गई। साथ ही ग्राम सामरबोह के आदिवासी कन्या आश्रम परिसर और ग्राम पंचायत परिसर में पौधारोपण किया गया। इसी प्रकार विकासखंड सौसर के ग्राम रंगारी, लोधीखेडा, सौंसर, बोरगांव व रामाकोना में फसल की स्थिति का अवलोकन कर किसानों को समसायिक सलाह दी गई।
    उप संचालक कृषि सिंह ने बताया कि जिले के विकासखंड मोहखेड़ के ग्राम सांवरी, सलैयाकला, टेमनीखुर्द, मेहलारी बाकुल, उमरानाला, पालाखेड़ और महलपुर में किसानों के खेतों का भ्रमण किया गया । ग्राम सांवरी के किसान श्री नितिन रामचन्द्र राव नासेरी के खेत में 7 हेक्टेयर में मक्का फसल, 6 हेक्टेयर में ड्रेगन, एक हेक्टेयर में ककडी, 1.5 हेक्टेयर में सागौन और 0.500 हेक्टेयर में आम की फसल लगाई गई है जिसका अवलोकन किया गया। ग्राम सलैया कला के किसान श्री लाखाजी पिता मनक कवरेती के खेत में प्राकृतिक खेती, फसल विविधीकरण और मिश्रित खेती का अवलोकन कर किसानों को आवश्यक जानकारी दी गई। 

    किसान द्वारा जीवामृत, घन जीवामृत, नीमास्त्र, वर्मीकम्पोस्ट, बायोगैस स्लरी का निर्माण कर खेती की जा रही है। ग्राम सलैयाकला के ही किसान बाबूराव मिटठू उइके द्वारा भी प्राकृतिक खेती में आवश्यक सामग्री बनाकर जैसे जीवामृत, घन जीवामृत, नीमास्त्र, वर्मीकम्पोस्ट, बायोगैस स्लरी का निर्माण कर 1.400 हेक्टेयर मे प्राकृतिक खेती की जा रही है। इसी प्रकार वनग्राम मेहलारी बाकुल के किसान उजरलाल टेकाम पिता चंदरलाल के खेत का भ्रमण कर जीवामृत बनाने की विधि और प्रदर्शन कर किसानों को मार्गदर्शन दिया गया। 

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