ग्रामीण क्षेत्रों की प्रतिभाओं की मदद करेगा हिंदी विश्वविद्यालय-प्रो. रामदेव भारद्वाज
एमके न्यूज़,
भोपाल - 31 मार्च 2021 (बुधवार) -अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग द्वारा पत्रकारिता के विविध आयाम विषय पर आयोजित दो दिवसीस राष्ट्रीय वेबीनार का बुधवार को समापन हो गया । संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रामदेव भारद्वाज ने कहा कि आजकल की पत्रकारिता सिर्फ शहरी क्षेत्रों तक सीमित होकर रह गई है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी अधिक आवश्यकता है । ग्रामीण पत्रकारिता के वर्तमान परिदृश्य पर चिंता व्यक्त करते हुए प्रो.भारद्वाज ने महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने की बात कही। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र की प्रतिभाओं को सामने लाने के लिए विश्वविद्यालय स्तर पर पूरी मदद किये जाने की बात कही । उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों की वे प्रतिभाएं जो खेल व अन्य क्षेत्रों में मार्गदर्शन व अन्य अभाव के चलते आगे नहीं बढ़ पाती हैं, ऐसी प्रतिभाओं की पूरी सहायता हिंदी विश्वविद्यालय द्वारा कि जाएगी।
हिंदी विश्वविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार सम्पन्न
पत्रकारों को नारद को अपना आदर्श मानना चाहिए - प्रो. कुलदीप अग्निहोत्री
समस्या ही नहीं समाधान पर भी बात हो - प्रो. प्रमोद कुमार
जनभाषा की शैली में हो पत्रकारिता- प्रो. माला मिश्र
खेल पत्रकारिता के लिए खेलों को समझना बहुत जरुरी: डॉ. आशीष द्विवेदी
कुलसचिव यशवंत सिंह पटेल ने किया आभार व्यक्त
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के पूर्व कुलपति प्रो. कुलदीप अग्निहोत्री ने भारत की राजनीतिक पत्रकारिता विषय पर बहुत ही गहराई से अपनी बात को रखा । भारतीय पत्रकारिता को नारद से जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि आज के पत्रकारों को नारद को अपना आदर्श मानना चाहिए। उन्होंने कहा कि नारद जब सूचना देते थे। तो इस बात का ध्यान रखते थे कि इससे समाज का अहित न हो। उनके लिए समाज का हित सर्वोपरि था। पत्रकारों को भी कार्य करते हुए हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए की पत्रकारित से समाज का अहित न हो।
आईआईएमसी दिल्ली के प्रो. प्रमोद कुमार ने समाधानपरक पत्रकारिता विषय पर कहा कि आजकल समस्याओं, चुनौतियों पर तो बात होती है लेकिन समाधान पर बहुत कम बात हो रही है। उन्होंने कहा कि मीडिया का काम समस्या के बारे में बताना ही नहीं है बल्कि समाधान करना भी है। युवा वर्ग द्वारा समाचार पत्रों को बहुत कम पढ़ने पर उन्होंने चिंता जताई । प्रो. प्रमोद ने कहा कि यह बहुत ही चिंता का विषय है कि आज कल युवा वर्ग समाचार पत्र कम पढ़ रहे हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में प्रोफेसर डॉ. माला मिश्र ने कहा कि नारद जी की पत्रकारिता निदानात्मक पत्रकारिता थी। पत्रकारिता के वर्तमान सरोकार एवं चुनौतियां विषय पर उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में आदान-प्रदान संवाद बहुत ज्यादा जरुरी है । उन्होंने पेड न्यूज एवं सनसनीखेज पत्रकारिता पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इससे पत्रकारिता में गिरावट आ रही है। प्रो. माला ने कहा कि जन-अपेक्षाओं, जन-समस्याओं के लिए जनभाषा की शैली में पत्रकारिता होनी चाहिए।
लेखक, मीडिया प्राध्यापक, इंक मीडिया के सागर के निदेशक एवं खेल पत्रकार डॉ. आशीष द्विवेदी खेल पत्रकारिता विषय पर कहा कि आजकल की पत्रकारिता सिर्फ क्रिकेट तक ही सिमट कर रह गई है, जो कि बहुत ही चिंता जनक है। उन्होंने कहा कि हॉकी पांच-छह राज्यों तक सिमट गई है । फुटबाल खेल पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा विश्व में दूसरे नंबर की आबादी होने के बाद भी हमारी टीम हॉकी वर्ल्ड कप तक नहीं पहुंच पाती है। प्रो. आशीष ने कहा कि खेल पत्रकारिता के लिए खेलों को समझना बहुत जरुरी है। भारत में खेलों का माहौल नहीं होने की बात करते हुए उन्होंने एक अध्ययन का हवाला देते हुए कहा भारत में 125 करोड भारतीयों में सिर्फ 57 लाख ही खेल का ज्ञान रखते हैं।
सेमीनार में कुलसचिव यशवंत सिंह पटेल ने आभार व्यक्त किया। विषय प्रवर्तन पत्रकारिता एवं जनसंचार के प्राध्यापक भूपेंद्र सुल्लेरे ने किया। सेमीनार का संयोजन एवं संचालन विभागाध्यक्ष डॉ. अरुण खोबरे द्वारा किया गया।
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