जंगल में भूमाफियाओं की खेती, हजारों पेड़ों की बलि
छुटभैया नेताओं के संरक्षण में भूमाफिया सक्रीय, खेती के लिए जंगल में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई
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भू माफिया से जंगल बचाने की आवाज लगाते हुए स्थानीय लोग |
रामहेत पवार, एमके न्यूज
देवास/हरणगांव। इन दिनों मनोरा, आमला विक्रमपुर, करोंद एवं हरणगांव वन वृत क्षे़त्र में भूमाफिया सक्रीय है। खातेगांव तहसील अतंर्गत करोंद-मनोरा बीट स्थित नाराचांदनी जंगल में भूमाफिया अंधाधुंधा वनों की कटाई कर खेती की जमीन बनाने में लगा हुआ है। ये छुटभैया नेताओं के संरक्षण में यहां 1 हजार एकड़ से भी अधिक जंगल क्षेत्र में फैले पेड़ों की चोरी-छुपे रात के अंधेरे में कटाई करने में लगे हुए है। हैरानी की बात ये है कि इस जंगल के चारों तरफ वन विभाग की आधा दर्जन से अधिक वनचौकियां बनी हुई है जिसमें कर्मचारियों से लेकर वनविभाग के अफसरान तक पदस्थ हैं, इसके बावजूद भूमाफियाओं पर कोई लगाम नहीं कसी जा रही है।
मेहनतकश किसान टीवी चैनल की टीम द्वारा संपूर्ण जंगल का निरीक्षण किया गया है। जिसमें पाया गया है कि उक्त जंगल में जगह-जगह सागौन, पलाश, खाकरे, साजड़ सहित अन्य विविध प्रजातियों के पेड़ असंख्या संख्या में कटे पड़े हुए है। मनोरा-आमला वन क्षेत्र अमला ने मंगलवार को नाराचांदनी जंगल 25-30 लोगों को गिरफ्तार किया है। इन लोगों नेे यहां पर भारी संख्या में पेड़ों की कटाई की थी और रात में गुपचुप तरीके से जंगल को साफ करने में लगे हुए थे।
इनका कहना है ये जंगल हमारा है, सरकार ने उन्हें दे दिया है। मगर उनके पास आवंटन को कोई लिखित सबूत नहीं है। इसके बाद स्थानीय वन सुरक्षा समिति एवं लोग उक्त हजारों एकड़ के जंगल को बचाने सामने आया है। बुधवार को पूर्व करोंद सरपंच धरम सिंह इवने, पूर्व सरपंचपति देवी नारायण मीना सहित सैकड़ों की संख्या में स्थानीय महिलाएं एवं पुरूष जंगल को बचाने के लिए पहुंचे थे।
जगंल को बचाने में नाकाम साबित हो रहा वनविभाग
खातेगांव, कन्नौद एवं हरणगांव रेंज के अधिकारी उक्त जंगल को बचाने में नाकाम साबित हो रहा है। जिसके कारण स्थानीय लोगों में गुस्सा भरा हुआ है। अब यहां-वहां स्थानीय लोग शिकायत करने में लग गए है। लोगों की तत्परता और सजगता के बाद अब वन विभाग की नींद खुली है। देखना ये है कि अब वन अमला उक्त जंगल में बाहर से आए सक्रीय भूमाफिया को भगाने में कितना कारगर साबित होता है।
वन सुरक्षा समिति और स्थानीय लोग जंगल बचाने हुए खड़े
वन सुरक्षा समिति और स्थानीय लोगों को जब इस बात का पता चला तो सबसे पहले उन्होंने जिम्मेदारों को शिकायत की। इसके बाद भी वन अमले ने वनों को बचाने में कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई तो समिति और स्थानीय लोग मिलकर उस जंगल में उस जगह पर पहुंचे जहां पर ढेरों पेड़ काटे जा रहे थे, और वहां पर धरना प्रदर्शन कर जंगल को बचाने की शपथ ली।
करोंद बुर्जुग के पूर्व सरपंचपति एवं वन समिति के जिम्मेदार देवीनारायण मीना के साथ सैकड़ोें की संख्या में स्थानीय आदिवासी लोगों ने उक्त जंगल को भूमाफिया से बचाने हेतु मुहिम शुरू की है। लोगों ने नारे लगाए के चाहे अब भले ही जान चली जाए मगर जंगल को हम नहीं कटने देंगे। मीना ने कहा कि यदि सरकार 100-100 किलीमीटर दूर से आने वाले लोगों को यहां के जंगल का पटृटा बांट रही है और वनों को कटाई करने की अनुमति दे रही है तो सबसे पहला हक स्थानीय आदिवासी भाई एवं बहनों का बनता है। इन्हेें जंगल काटने की अनुमति दी जाए, ना की बाहर धार, उदयपुरा सहित अन्य जगहों से आने वाले लोगों को।
छुटभैया स्थानीय नेताओं का संरक्षण
गोपनीय जानकारी के अनुसार स्थानीय छुटभैया नेताओं के संरक्षण में दूर-दूर से वनों की कटाई करने वाले लोगो को बुलाकर यहां वनों की गुपचुप तरीके से कटाई कराई जा रही है। इन नेताओं ने उन्हें यह कहा है कि हम सबकुछ संभाल लेंगे, आप तो जंगल काटकर खेती करना प्रारंभ करो। यहीं कारण है कि उक्त जंगल से लगभग 100-100 किलोमीटर दूर से लोग यहां आ रहे है और रात में जंगल को काट रहे है। वन विभाग के अमले ने जब मंगलवार को 20-25 लोगों को पेड़ों की कटाई करते हुए पकड़ा और उन्हें फारेस्ट चौकी मनोरा लगाया गया तो उन्होंने कहा कि सरकार का आदेश है कि जंगल को काटकर वे वहां खेती करे। इसलिए हम जंगल को काट रहे है। मगर इनके पास किसी भी तरह का कोई लिखित आदेश सरकार की ओर से नहीं है। ना की उन्हें किसी प्रकार का सरकार की ओर से आवंटन लिखित आदेश दिया गया है।
इनका कहना है.....
वन विभाग द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। अब हम यहां पर वनों को बचाएंगे। यदि सरकार पट्टा जंगल में बाहर के लोगों को बांट रही है तो सबसे पहले यहां के स्थानीय लोगों को पट्टा दिलवाएंगे।
देवीनाराण मीना, समाजसेवी एवं पूर्व सरपंचपति
इनका कहना है.....
ये पिछले कई दिनों से वनों को काट रहे है। ये बाहर से लोग है। पिछली बार भी हमने इनको पकड़ा था। अब फिर हमने पकड़ा है। अब तक इन्होंने 400 पेड़ काट दिए है। अब हम इनके खिलाफ सख्त कार्रवाही करेंगे। देवास से भी वन विभाग की टीम आ रही है। जो यहां पर जंगल की देखरेख करेंगी।
वंदना ठाकुर, वन विभाग अधिकारी, मनोरा वनवृत क्षेत्र
इनका कहना है.....
वन विभाग ने वनों को काटकर खेती करने का कोई आदेश नहीं दिया है। आप से हमे ये जानकारी मिली है। मैं इस मामले को देवास के वन विभाग के अधिकारियोें को अवगत कराता हूं। इस पर सख्ती से जंगल काटने वालों के खिलाफ कार्रवाही की जाएगी।
विजय शाह, मंत्री, वन विभाग
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