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    जिले में खाद विवरण में लेटलतीफी से किसान परेशान

     जिले में खाद विवरण में लेटलतीफी से किसान परेशान

     पीएस राजपूत

    हरदा।एमके न्यूज।   जिले में सहकारी समितियों के गोदाम रासायनिक खाद के अभाव में खाली पड़े हैं जबकि निजी व्यापारी के गोदाम में खाद की आमद हो चुकी है। पिछले साल सितंबर में सहकारी समितियों के माध्यम से यूरिया का वितरण आरंभ हो गया था। जिले का किसान यूरिया की देरी से चिंतित हैं।

    गौरतलब बात है कि सरकार और प्रशासन को यह विदित है कि किसान सोयाबीन की कटाई के बाद खेत को तैयार करने में लग जाता है। जिले में तवा शहर से अक्टूबर के अंत तक पानी आने की संभावना है। ऐसी स्थिति में खेत की साफ सफाई और खेत बनाने में एक माह का समय लगना स्वाभाविक है। लिहाजा किसान का फसल चक्र निर्धारित रहता है पर लगता है कि  सरकार किसानों के फसल चक्र से तालमेल के बजाय खाद निर्माता फर्मों पर आश्रित है। 

    वर्तमान में किसान ग्रीष्म कालीन मूंग के लिए शेयर हाउसों के बहाने लाईन में लगा है। इससे निपटने के बाद खेत तैयार करेगा की यूरिया की लाईन के लिए मजबूर होगा। एक पुराना  गाना है जिते और मरने के बीच लकडी' का महत्व समझाया है।  उसी तरह किसानों के लिए भी चाहे फसल बेचना हो या खाद खरीदना हो या समस्या के हल के लिए जाना हो सभी जगह मरते दम   लाईन लाईन लाईन का महत्व है।।

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