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    लता दीदी: ओ बसंती पवन पागल,ना जा रे ना जा


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    योगेश जाणी

    आज मन बड़ा दुखी है...यकीन नहीं हो रहा है कि लता दीदी अब हमारे बीच में नहीं रहीं... सूर,साज और आवाज की दुनिया का एक सितारा अस्त हो गया... भरी बसंत में कोकिला की आवाज शांत हो गई...उनकी शहद जैसी आवाज ने उन्हें 'स्वर कोकिला' बनाया... संगीत में दिए उनके योगदान ने उन्हें 'भारत रत्न' बनाया... उनकी मीठी आवाज ने हजारों नगमों को कर्णप्रिय बनाया... कितनी ही पीढ़ियाँ उनके गीतों को सुनकर बड़ी हुईं... कितने ही गीतकारो, संगीतकारों और साजिंदो के साथ उनकी जुगलबंदी रहीं... आज कुदरत भी उनके निधन पर शोकाकुल है... 26 जनवरी, 1963 को जब लता दीदी ने लाल किले से "ए मेरे वतन के लोगों" गाया... तो तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु भी अपने आँसू नहीं रोक पाए... लता दीदी ने हर जोनर के गीत गाए... रोमांटिक, देशभक्ति, धार्मिक, गजल और शास्त्रीय संगीत... कुछ भी उनकी आवाज से अछूता नहीं रहा... फिल्म 'गाइड' का गीत "आज फिर जीने की तमन्ना है"...जब भी कानों में सुनाई देता है... तो तन और मन में जिजीविषा प्रबल हो जाती है... 'शोर' में उनके द्वारा गाया गीत- "एक प्यार का नगमा है"... हमारे लिए जीवन दर्शन है... लता दीदी के गानों में एक प्रकार का जादू रहा है... अब 'वो कौन थी' का "लग जा गले, के फिर ये हँसी रात हो ना हो"...को ही ले लीजिए... जो नायक- नायिका के आलिंगन की उत्कंठा को दर्शाता है... भला, मुग़ल-ए-आज़म का मशहूर तराना- "प्यार किया तो डरना क्या"... को कौन विस्मृत कर सकता है... जिसमें मोहब्बत के लिए नायिका की बगावत नजर आती है... इस फेहरिस्त में 'आरजू' का नगमा- "बेदर्दी बालमा तुझको मेरा मन याद करता है"... बरबस ही जुबाँ पर आ जाता है... जिसमें नायिका की विरह-वेदना का भाव होता है... यह लता जी की आवाज का ही जादू था कि... फिल्म 'सिलसिला' का गीत "ये कहाँ आ गए"... अमिताभ और रेखा की केमिस्ट्री को जीवंत बनाता है... फिल्म 'दिल अपना और प्रीत पराई' का दिलकश नगमा- "अजीब दास्तां है ये"... सुनने के बाद एक पल को पीछे मुड़कर देखने का मन करता है... प्रणय का क्या मूल्य होता है... यह लता जी की आवाज ने बखूबी समझाया... जब उन्होंने गाया- "आपकी नजरों ने समझा, प्यार के काबिल मुझे"... लता दीदी की आवाज ने प्रेम ही नहीं बल्कि देश प्रेम की भावना भी जगाई... फिल्म 'आनंद मठ' में उनके द्वारा गाया- "वंदे मातरम"... को भला कैसे भूल सकते हैं... बहरहाल, यही कहा जा सकता है कि... लता दीदी की आवाज युगों- युगों तक हमारे बीच गूँजेगी... अंत में यही कहूँगा..."ओ बसंती पवन पागल,ना जा रे ना जा, रोको कोई ओ बसंती... लता दीदी को शत्-शत् श्रद्धाँजलि!

                                                                                                                                                     

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